घनश्याम जिसे तेरा जलवा नज़र आता है।
उससे ये कोई पूछे क्या नज़र आता है।
यार तू ही रौशन है हर शय में तेरी लौ है।
हर दिल में तेरी सूरत पै शैदा नज़र आता है।
हैरां हैं नजरें भी अब ग़ैर को क्या देखें।
नजरों में भी तेरा नक्शा नज़र आता है।
बतलाएं किसी को क्या हम क्या हैं आँसू भी।
एक ‘बिन्दु’ उल्फ़त का दरिया नज़र आता है।

By shayar

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