नक्शा है दिल तस्वीर घनश्याम की।
और जबां पर है तक़दीर घनश्याम की।
जिसको छूकर शिला नारि भी तर गई।
ढूँढता हूँ वो अक्सीर घनश्याम की।
मस्त गजराल मन इस लिए बंध गया।
पद गईं जुल्फें जंजीर घनश्याम की।
इस कदर मेरी आँखें मिलीं घनश्याम से।
आ गई इसमें तासीर घनश्याम की।
‘बिन्दु’ दृग के नहीं दिल के टुकड़े हैं ये।
चल चुकी इनपे शमशीर घनश्याम की।

By shayar

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *