सच पूछो तो मुझको नहीं है ज्ञान तुम्हारा।
पर दिल में रहा करता है कुछ ध्यान तुम्हारा।
माना कि गुनहगार हूँ पापी हूँ अधम हूँ।
सब कुछ हूँ मगर किसका हूँ भगवान तुम्हारा।
फरियाद अश्क आह चाह है तुमको।
इस तन में है मौजूद सामान तुम्हारा।
लाजिम तुम्हें तारना भक्ति के बिना भी।
भक्ति से जो तारा तो क्या अहसान तुम्हारा।
अधमों की किया कतरे हो गर मेहमाननवाजी।
तो ‘बिन्दु’ भी सरकार है मेहमान तुम्हारा।