मेरी और मोहन की बात मैं जानूँ या वो जाने,
दिल की दुःख दर्द भरी बातें मैं जानूँ या वो जाने।
अब दिल में उनकी याद हुई इक शक्ल नी ईज़ाद हुई,
पल पल की यह मस्त मुलाकात मैं जानूँ या वो जाने।
नहीं जगता नहीं सोता हूँ, नहीं रोता नहीं हँसता हूँ,
यह दर्दे जुदाई की बातें या मैं जानूँ या वो जाने।
ग़म की घनघोर घटा गरजी दामिनी वेदना की लरजी,
दृग ‘बिन्दु’ भरी यह बरसातें या मैं जानूँ या वो जाने।