अगर घनश्याम का दिल
आशिकों को दूर कर देता,
तो था किसका दम घर-घर में,
उन्हें मशहूर कर देता।
मज़ा कुछ तो मिला होगा-
अनोखे इश्क़ में तेरे,
वरना क्यों जान अपनी-
फ़िदा मंसूर कर देता।
गरज़ क्या थी उसे गोकुल में,
आकर ग्वाल बन जाता।
किसी का दर्दे दिल उसको-
न गर मजबूर कर देता।
जहर चितवन की बरछी का,
न आँखें बिन्दु से ढलती,
तो उनका दर्द पैदा
दिल में एक साँस भर देता।

By shayar

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