मेरी मोहब्बत हवाओ के जैसी है
नजर न भी आये तो भी उनके इर्द गिर्द ही फिजाओ मैं बहेगी
कभी सांस बनकर उनके सीने में रहेगी
तो कभी खुशबू बनकर आसपास महकेंगी
ज्यादा उफान पे आये मोहब्बत तो हवा के झोंके से तुम्हारी जुल्फे बिखराएँगी
या कभी तुम्हारी चुनरी के साथ साथ उड़ेगी
पर तुम्हारी मोहब्बत अदाओ के जैसी है
के कोई देखे तो झटक जलवे की तरह दिखेगी
गर न देखे कोई तो जाने कहा गुम हो जाएगी

By shayar

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