बहुत दर्द में हु
तुम आओ तो थोड़ा मरहम लेते आना
दीवानी सी हुए फिरती हु तुम आओ तो कोई नया गम लेते आना
बस इतना कर्म करना के थोड़ा सा भ्रम रखना
तुम आओ या ना आओ ,पर मैं जल्द आऊंगा ये कहते रहना
सो ख्वाब पुराने, धूल से मैले हुए तकिये के नीचे रखे है
अंधेरे बंद कमरे में सो अरमान सुलगते से पड़े है
एक बंद खिड़की है किनारो से कुछ टूटी हुई
तुम आओ तो खिड़की के किनारो पे थोड़ी सूरज की रोशनी लगाते आना
बस जल्द आऊंगा मै ये कहते रहना
तेरे आने की उम्मीद है के मुझे नाउम्मीद कभी होने नही देती
सांसो के लय पे तेरा नाम गुनगुनाती धड़कन , धड़कने खोने नही देती
तेरी जुदाई हँसने नही देती तो उम्मीद रोने नही देती
उस पर ये खुली आँखों के ख्वाब नींद आने नही देते
बस जल्द आऊंगा मै ये कहते रहना