मुझे लगता है के उसके बिना जी नही पयूंगी
अब भी जब जब वो याद आता है

मुझे लगता है के चलो मैं झुककर उसकी बेवफाई भूल जाती हूं
गर वो माफी न मांगे खुद से तो मै खुद उसके बोले बिना उसे माफ कर देती हूं
क्योंकि मुझे लगता है के जी नही पायउँगी उसके बिना
अब भी जब जब वो याद आता है

मुझे लगता है के चलो कुछ रो धोकर उसे मना लेती हूं
ठोकर भी मारने लगे गर तो मैं पैरो से लिपट के रोक लुंगी उसको
क्योंकि मुझे लगता है के जी नही पयूंगी उसके बिना
अब भी जब जब वो याद आता है
मुझे मालूम है वो फिर से कहेगा के भूल जाओ मुझे , मैं तुम्हारा नही
फिर मैं उसे उसके पुराने वादे उसे याद करा दूँगी
क्योंकि मुझे लगता है के जी नही पयूंगी उसके बिना
अब भी जब जब वो याद आता है

मैं सोचूंगी के ये जिद्द अकड़ किस काम की, जब सब कुछ एक दिन फना हो जाना
वो खुद की गलती पे शर्मिंदा न हो तो न हो, मैं ही भूल जाऊंगी
क्योंकि मुझे लगता है के जी नही पयूंगी उसके बिना
अब भी जब जब वो याद आता है

गर ये सब गर तुम भी सोचती हो लड़कियों तो तुम ऐसा मत करना
जो न हो वफ़ा के काबिल उसपर खुद की जिंदगी फना मत करना
क्योंकि मुझे बस ऐसा लगता ही  है के जी नही पयूंगी उसके बिना
और वो भी जब जब वो याद आता है
तुम अकेली नही जो झुक जाओगी,
तुम झुकी तो माँ बाप की परवरिश को भी डुबो जाओगी
तुम झुकी तो किसी और लड़की के लिए गलत मिसाल साबित कर जाओगी
जो माफ किया किसी गुनाहगार को तो एक और गुनाहगार बनाकर जाओगी

खुद की अना न रहे बाकी तो जीते जी फना हो जाओगी
तो अब जब भी लगे के उसके बिना जी नही पाओगी
एक लंबी सांस भरना और खुद से कहना
मैं जिंदा हु अब भी तो

By shayar

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