दिल बहुत चाहता के उस पर एक किताब लिखू
रुमाल या मफलर पर  कढाई से उसका नाम लिखू
रूप रंग और हुलिया आदि भी सरेआम लिखू
कैसे कब और कहा मिले हम, बाते ये तमाम लिखू

झील कहु या  समुन्दर से गहरे उसके नैन लिखू
बेकरारी लिखू उसे या दिल का चैन लिखू
मेरी मोहब्बत में मशरूफ इंसान कहु
पहरों बिता दे मेरे साथ एक लम्हे की तरह, क्या बात ये आम लिखू

सब कुछ तो लिख दु मगर इंतिहा मैं क्या बयान लिखू
रेत के महल से कैसे गिराया मेरे सपनो का मकान लिखू
मोहब्बत मैं मिले फूल पहुचे कैसे कब्रिस्तान लिखू
वो बेवफा है बस ये ही सोचकर के सोचती क्या फिजूल ही उसका नाम लिखू

इश्क़ मेरा सच्चा इतना के अब भी वो ख्वाबो में सरेआम आये
नाम लू किसी का मगर जुबां पे बस उसका ही नाम आये
मेरी हर दुआ मैं वो कही न कही ठहर जाए
बस दुआ इतनी के उसको भी मेरी याद कभी किसी सहर आये

By shayar

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