दिल कमाले-शौक़ से है बे-क़रार इत्तिहाद
चश्मे-मुज़्तर है रहीने-इंतज़ारे-इत्तिहाद

देख कर चारों तरफ बे-एतिमादी की फ़ज़ा
किस तरह आंखों को आए एतिबारे-इत्तिहाद

काश अब काफ़ूर हो जाये शबे-तारे-निफ़ाक़
हम भी देखें जलवाए सुब्हे-बहारे-इत्तिहाद

इस हक़ीक़त से कोई इंकार कर सकता नहीं
है रवादारिए-बाहम पर मदारे-इत्तिहाद

हो के हम-आहंग फिर ए अन्दलीबाने-वतन
इस गुलिस्तां को बना दें नग़मा-ज़ारे-इत्तिहाद

मुल्क में हो जाए क़ायम इत्तिहाद आज ऐ ‘वफ़ा’
हो अगर सब का चलन आमोज़गारे-इत्तिहाद।

By shayar

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