इस से कोई बहस नहीं क्या किया
जो भी किया आप ने अच्छा किया

तुझ को मेरे हुस्न से शुहरत मिली
मुझ को मेरे इश्क़ ने रुसवा किया

हक़ ने तुझे इशरते-इमरोज़ दी
मुझ को रहीने-ग़मे-फ़र्दा किया

किस से हुआ तर्के-तमन्ना यहां
किस ने यहां तर्के-तमन्ना किया

मिलता मुक़द्दर का भी क्यों कर मुझे
मैं ने हमीय्यत का न सौदा किया

वादा तेरा शाम को आने का था
राह तेरी सुब्ह से देखा किया

फर्ते-अक़ीदत से रहे-शौक़ में
सजदा ब-हर नक़्शे-पा किया

दुश्मनों को दुश्मनों से शिकवा क्यों
दोस्तों ने दोस्तों से क्या किया।

By shayar

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