करम आये अताब आये सवाब आये जवाब आये
हमारे इजतिराबे-ग़म का देखें क्या जवाब आये।

• सांस चलता है मिरे सीने में कुछ रुक रुक कर
आज ये खेल बिगड़ता नज़र आता है मुझे

• घड़ी बीमारे-ग़म की आ गई क्या तुम न आओगे
उदासी बामो-दर पर छा गई क्या तुम न आओगे

• पासे-अदू से मुझ को मलामत न कीजिये
है है न कीजिये ये क़ियामत न कीजिये

• ख़ुदा से इक तरफ़, खुद से भी कोसों दूर होता है
बशर जिस वक़्त ताक़त के नशे में चूर होता है।

• यही हर हाल में क्यों ऐ सितम-ईजाद होता है
कि तुझ से जो वफ़ा करता है वो बर्बाद होता है।
ये कैसी बद-तमीज़ी है कि हर इरशादे-बेजा पर
बपा महफ़िल में तूफ़ाने “बजा इरशाद” होता है

• जी में आता है कि ये भी तज़रिबा कर देखिये
मर के मुमकिन हो विसाले-यार तो मर देखिए

• ताक़ते-ज़ब्ते-फुगां देखिये कब तक रहे
राज़े-महब्बत निहां देखिये कब तक रहे।

• अब तरीक़ा हुज़ूर का क्या है
इब्तिदा क्या थी इंतिहा क्या है

• अभी आप कमसिन हैं डर जाएंगे
न देखें मिरा दम निकलते हुए

• तस्कीं-असर था वादा-ए-बेऐतबार भी
यानि कि ऐतबार ही करना पड़ा मुझे।

• पाया न हम ने लुत्फ कोई दिन बहार का
यूँ बीतने को बीत गये दिन बहार के।

• जान पर खेलना मुश्किल है मगर याद रहे
खेलने पर कोई आ जाये तो आसान भी है

• नहीं चलती महब्बत में रियाज़ी
नहीं उन की मुकर्रर भी नहीं है

• भला जिस बज़्म में ग़ैरों की खिचड़ी पकती रहती हो
वहां कब ऐ दिले-नादां हमारी डाल गलती है।

• किसी को अपनी किसी आरज़ू से काम नहीं
दुआएं वक़्फ़ हैं उस आफ़ते-जहाँ के लिए

• मैं हूँ और आज़ारे-इस्तिकबाले-दुश्मन सुबहो-शाम
सौंप दी है उस ने अपने घर की दरबारी मुझे

• वे ताइर हो चुके आज़ाद जो इस वास्ते चुप हैं
फुगां करने से होते हैं दिले-सय्याद के टुकड़े
हवाए हमसरिए-कद्दे-बाला की सज़ा ये है
उड़ें अहले-चमन के सामने शमशाद के टुकड़े।

• ये कौन सैर को निकला है बाम पर शबे-माह
ये रात नूर के सांचे में ढल गई कैसी।

• कब से रुका खड़ा है जनाज़ा शहीद का
बैठे भी तुम नहीं अभी ज़ुल्फें संवारने।

• हाथ रह रह के मिरे बहरे-दुआ उठते हैं
यही ले दे के सहारा नज़र आता है मुझे।

• ये जल गया है तो अब बिजलियाँ भी चैन से हैं
बला था एक मिरा आश्यां चमन के लिए।

• वो ना-मुरादे-ज़ौक़-ख़लिश हूँ कि दश्त में
कांटे हैं सरनिगूं मिरे छालों के सामने।

• शैख़ जी ये सफाइयां तौबा
पी पिला कर बुराइयां तौबा।

• कहकहे ग़ैरों के हैं आठों पहर
  आफ़ते-जाँ है तिरी हम-सायेगी
  मौत बन कर आयेगा दिल का क़रार
  जान ले कर बेक़रारी जायेगी।

• किया ख़ूब वादा वफ़ा वाह वा
मियां वाह वा वाह वा वाह वा

• उमीदे-वफ़ा, ‘वफ़ा’ बुतों से
ऐ मर्दे-ख़ुदा, ख़ुदा ख़ुदा कर

• माज़ी की यादगार पे आ जा के रह गये
दिल पर जो दाग़ ख़ूने-तमन्ना के रह गये
ज़िक्रे-ख़ुदा है और न फ़िक्र-ए-मुआश है
हम आशिक़ी में दिन न दुनिया के रह गये।

• इस का गिला बजा कि ज़माना बदल गया
इस का इलाज क्या कि ज़माना बदल गया
साकी शराब ला की ज़माना बदल गया
मुतरिब! ग़ज़ल सुना के ज़माना बदल गया।

• ग़लत कहते हैं जो कहते हैं ऐसा हो नहीं सकता
उसी के हो गये सब जो किसी का हो नहीं सकता।

By shayar

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