मैं एक शापित चिड़िया हु
बन बन भटक रही हु
अतीत मुझे याद आता है
कोई राजकुमारी कहकर बुलाता है
फिर क्यो महल छोड़ घोसले को भी तरस रही हु
क्यो कांटो से हर दिन उलझ रही हु
मैं एक शापित चिड़िया हु
बन बन भटक रही हु

जिसकी गोद में खेली वह पराई हु
त्यागी उसने भी के जहा ब्याही हु
समझ ही नही आता के क्या क्यों कर रही हु
मैं एक शापित चिड़िया हु
बन बन भटक रही हु

जन्म देना कर्तव्य मेरा तो त्यागना भी हो अधिकार मेरा
तूने न पहचाना मुझे तो धिक्कार हो तेरा
मगर वास्तविकता में मैं क्यों सजा भुगत रही हु
मैं एक शापित चिड़िया हु
बन बन भटक रही हु

By shayar

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