समय की सीमा है
के एक दिन मुझे भी जाना होगा
मगर बस इतना बता दे कोई
क्या फिर कभी अपनो से मिल पाना होगा

जब तक रही जान तो कांटो मैं ही उलझी रही
क्या मरकर कोई सुकून का ठिकाना होगा
कब्र में छोड़कर मुझे जमाने को आगे जाना होगा
मगर मेरे बेटे बता के क्या कभी तेरी यादों में आना जाना होगा
समय की सीमा है
के एक दिन मुझे भी जाना होगा

ये दुनिया मुझबिन भी  ठीक से चलेगी मुझे यकीन है
मेरा कोई रिश्ता नाता नही बस एक माँ बाप और बेटा जहीन है

खुदा करे के तेरी जन्नत तुझे मेरे बेटे धरती पे ही मिले
मेरा क्या है कही भी राहु तेरे लिए बस दुआए का ही फसाना होगा
समय की सीमा है
के एक दिन मुझे भी जाना होगा

क्या रूह को भी कोई अधिकार देगा खुदा
या बस मरते ही कर देगा हर अहसास और मोह से जुदा
बस इतना ही चाहती हु के तुझे खुशिया दे दो जहां की खुदा
और मुझे दे आसमान से तुझे देखने का मौका खुदा

समय की सीमा है
के एक दिन मुझे भी जाना होगा

By shayar

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