तुम्हारी छांह है, छल है,
तुम्हारे बाल हैं, बल है।
दृगों में ज्योति है, शय है,
हृदय में स्पन्द है, भय है।
गले में गीत है, लय है,
तुम्हारी डाल है, फल है।
उरोरुह राग है, रति है,
प्रभा है, सहज परिणति है,
सुतनुता छन्द है, यति है,
कमल है, जाल है, जल है।