भग्न तन, रुग्न मन,
जीवन विषण्ण वन ।

क्षीण क्षण-क्षण देह,
जीर्ण सज्जित गेह,
घिर गए हैं मेह,
प्रलय के प्रवर्षण ।

चलता नहीं हाथ,
कोई नहीं साथ,
उन्नत, विनत माथ,
दो शरण, दोषरण ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *