तूफ़ान से उलझ गए लेकर ख़ुदा का नाम
आख़िर नजात पा ही गए नाख़ुदा से हम

पहला सा वह जुनूने-मुहब्बत नहीं रहा
कुछ-कुछ सम्भल गए हैं तुम्हारी दुआ से हम

ख़ूए-वफ़ा मिली दिले-दर्द-आश्ना मिला
क्या रह गया है और जो माँगें ख़ुदा से हम

पाए-तलब भी तेज था मंज़िल भी थी क़रीब
लेकिन नजात पा न सके रहनुमाँ से हम

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