अल्हड़ जी का स्वर मधुर, गोरा-चिट्टा चाम।
‘श्यामलाल’ क्यों रख दिया, घरवालों ने नाम।
घर वालों ने नाम, ‘शकीला’ पीटे ताली।
हमको दे दो, मूँगफली वाली कव्वाली।
इसे मंच पर गाने में जो होगी इनकम।
आधी तुम ले लेना, आधी ले लेंगे हम।

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