मसर्रत रह गई दब कर हँसी के शोख़ रेले में
मिरे दिल की कली मुझाँ गई फूलों के मेले में
अगर तुम फँस गये जाकर ख़रीदारों के मेले में
खि़लौने की तरह बिक जाओगे दुनिया के मेले में
बुलाया आप ने महफ़िल में इसका शुक्रिया लेकिन
मुझे तो आप से कुछ अर्ज़ करना था अकेले में
यह भारत है अगर इसकी तऱक़्की रोकना चाहो
फँसा दो इसको मस्जिद और मन्दिर के झमेले में
बुढ़ापे में किया कीजिए न खिलवाड़ आने जीवन से
’नजीर’ इस उम्र में जाया न कीजे मेले-ठेले में
कहाँ घर छोड़ कर जाते हो प्यारे मेले-ठेले में
चलो कुछ काम की बातें करें चल कर अकेले में