कब तलक ज़ख्म हँस के खायेंगे हम
हर इक चोट दिल की छुपायेंगे हम
नातवानी को ताकत बनायेंगे हम
मौत से ज़िन्दगी छीन लायेंगे हम
इस कटौती की मैयत उठायेंगे हम
पूरे दिन क़ब्र में जिस्म आधा रहे
घर में इस पर भी इक वक़्त फ़ाक़ा रहे
भूक से गरम तन,सर्द चूल्हा रहे
इस तरह ख़ून कब तक जलायेंगे हम
इस कटौती की मैयत उठायेंगे हम
कौन किसकी हँसी छीन कर शाद है
कौन किसके उजड़ने पे आबाद है
किसके लाश पे कोठी की बुनियाद है
तुम बताओ तुम्हें भी बतायेंगे हम
इस कटौती की मैयत उठायेंगे हम
सोने-चाँदी के हीरों के लख़्ते जिगर
ऊँची-ऊँची हवेली के जाने पेदर
भारी-भारी तिजोरी के नूरे नज़र
अब कुद अपने लिए भी कमायेंगे हम
इस कटौती की मैयत उठायेंगे हम
जिसमें चेहरों का छीना हुआ नूर है
जिसकी रफ़्तार में आह मजबूर है
जिसके पेट्रोल में ख़ूने मज़दूर है
ऐसे मोटर की धज्जी उड़ायेंगे हम
इस कटौती की मैयत उठायेंगे हम
तुमसे आबाद होटल भी हैं बार भी
तमसे कोठे भी कोठे के बाज़ार भी
तुमको नफ़रत भी तुम ही ख़रीदार भी
पाप करने से तुम को बचायेंगे हम
इस कटौती की मैयत उठायेंगे हम
वारिसे हिन्दो हिन्दोस्ताँ ज़ाद हैं
हम भी इस देश माता की औलाद हैं
तुम हो आज़ाद तो हम भी आज़ाद हैं
अब गु़लामी की लानत हटायेंगे हम
इस कटौती की मैयत उठायेंगे हम
ऐसे जीने की हम को जरूरत नहीं
अब तो या हम नहीं या मुसीबत नहीं
गर हमारी हुकूमत को फ़ुर्सत नहीं
ख़ुद हुकूमत तलक ले जायेंगे हम
इस कटौती की मैयत उठायेंगे हम