एक होकर दुश्मनों पर वार कर सकते हैं हम
ख़ून का भरपूर दरिया पार कर सकते हैं हम ।
काँग्रेस को, लीग को बेदार कर सकते हैं हम
ज़िन्दगी से हिन्द को सरशार कर सकते हैं हम ।
          वो दरे हिन्दोस्ताँ वो सहरो-नग़मे का दयार
          दीदनी है आज इसकी नातवानी की बहार ।
भूख का बीमारियों का बम के गोलों का शिकार
पीठ में जापान का खंजर तो सर पर सूदखार ।
          एक होकर दुश्मनों पर वार कर सकते हैं हम
          ख़ून का भरपूर दरिया पार कर सकते हैं हम ।
          काँग्रेस को लीग को बेदार कर सकते हैं हम
          ज़िन्दगी से हिन्द को सरशार कर सकते हैं हम ।
क़ब्र के रोज़न से अपना सर निकाला मौत ने
बेसहारा जान कर मारा है भाला मौत ने ।
          ख़ानदानों को बना डाला निवाला मौत ने
          शीरखारों को चबा कर थूक डाला मौत ने ।
एक होकर दुश्मनों पर वार कर सकते हैं हम
ख़ून का भरपूर दरिया पार कर सकते हैं हम ।
काँग्रेस को, लीग को बेदार कर सकते हैं हम
ज़िन्दगी से हिन्द को सरशार कर सकते हैं हम ।
          उम्मते मरहूम हो या मिल्लते ज़ुन्नारदार
          उनके फ़क़ों की न गिनती है न लाशों का शुमार ।
मर्द-औ ज़न शेख़ो बहरमन सब क़तार अन्दर क़तार ।
आह सूखी छातियों की चीख़ बच्चों की पुकार ।
          एक होकर दुश्मनों पर वार कर सकते हैं हम
          ख़ून का भरपूर दरिया पार कर सकते हैं हम ।
          काँग्रेस को लीग को बेदार कर सकते हैं हम
          ज़िन्दगी से हिन्द को सरशार कर सकते हैं हम ।
आज अपना घर अदू की रहगुज़र ही क्यों न हो
हम बढ़ जाएँगे रास्ता पुरख़तर ही क्यों न हो ।
          हम लड़े जाएँगे दुश्मन बदगोहर ही क्यों न हो
          अपनी वर्दी ख़ाको खूँ मेम तरबतर ही क्यों न हो ।
एक होकर दुश्मनों पर वार कर सकते हैं हम
ख़ून का भरपूर दरिया पार कर सकते हैं हम ।
काँग्रेस को, लीग को बेदार कर सकते हैं हम
ज़िन्दगी से हिन्द को सरशार कर सकते हैं हम ।

By shayar

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