रात आई है, बहुत रातों के बाद आई है
देर से दूर से आई है, मगर आई है ।
मरमरी सुबह के हाथों में छलकता हुआ जाम आएगा
रात टूटेगी उजालों का पयाम आएगा ।
आज की रात न जा ।
ज़िंदगी लुत्फ़ भी है ज़िंदगी आज़ार भी है
साज़-ओ-आहंग भी जंज़ीर की झंकार भी है ।
ज़िंदगी दीद भी हसरते-दीदार भी है
ज़हर भी, आब-स-हयात-ए-लब-व-रुख़सार भी है
ज़िंदगी दार भी है, ज़िंदगी दिलदार भी है ।
आज की रात न जा ।
आज की रात बहुत रातों के बाद आई है
कितनी फ़रखुंदा है शब, कितनी मुबारक है सहर
वक़्फ़ है मेरे लिए तेरी मुहब्बत की नज़र ।
आज की रात न जा ।