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अब कहाँ जाके ये समझाएँ के क्या होता है
एक आँसू जो सरे चश्मे वफ़ा होता है ।

इस गुज़रगाह में इस दश्त में ऐ जज़्ब-ए-इश्क़
जुज़ तेरे कौन यहाँ आबला पा होता है ।

दिल की महराब में इक शम्मा जली थी सरे शाम
सुबह दम मातमे अरबाबे वफ़ा होता है ।

दीप जलते हैं दिलों में के चिता जलती है
अबकी दीवाली में देखेंगे के क्या होता है ।

जब बरसती है तेरी याद की रंगीन फ़ुवार
फूल खिलते हैं दरे मयकदा वा होता है ।

By shayar

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