इन हीरक से तारों को
कर चूर बनाया प्याला,
पीड़ा का सार मिलाकर
प्राणों का आसव ढाला।

मलयानिल के झोंको से
अपना उपहार लपेटे,
मैं सूने तट पर आयी
बिखरे उद्गार समेटे।

काले रजनी अंचल में
लिपटीं लहरें सोती थीं,
मधु मानस का बरसाती
वारिदमाला रोती थी।

नीरव तम की छाया में
छिप सौरभ की अलकों में,
गायक वह गान तुम्हारा
आ मंड़राया पलकों में!

By shayar

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *