कौन जाने इंतिहाए-दर्दे-दिल
है फ़क़त दिल आश्नाए-दर्दे-दिल

एक अफ़साना है मेरी ख़ामोशी
क्या छुपेगा माजराए-दर्दे-दिल

ज़िन्दगी भर में मिला है ये सबक़
ज़िन्दगी है इंतिहाए-दर्दे-दिल

हज़रते-दिल आप क्यों ख़ामोश हैं
कुछ तो कहिये माजराए-दर्दे-दिल

जानता हूँ अपनी उल्फ़त का मआल
है नज़र में इंतिहाए-दर्दे-दिल

अश्क़बारी इक क़ियामत हो गई
खुल गये सब राज़ हाय-दर्दे-दिल

चारागर की क्या ज़रूरत ऐ ‘रतन’
दर्द है ख़ुद ही दवाए-दर्दे-दिल।

By shayar

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