बन्दगी खत्म है बस आंख के वा होने तक
देर कब लगती है बन्दे को ख़ुदा होने तक

वादा तो आप ने आने का किया है लेकिन
उम्र दरकार है वादे को वफ़ा होने तक

बेहतरीं नुस्खा है बीमारीए-उल्फ़त का यही
दर्द को बढ़ने दिया जाये दवा होने तक

दीद के बाद तो मैं तुझ में समा जाऊंगा
मेरी हस्ती है तिरे जलवा-नुमा होने तक

उम्र भर हो न सका जोशे-महब्बत ठंडा
इश्क़ की हद है ‘रतन’ जान फिदा चलने तक।

By shayar

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