प्रेम मुक्ति
एक धार बहता जग जीवन एक धार बहता मेरा मन! आर पार कुछ नहीं कहीं…
Read Moreएक धार बहता जग जीवन एक धार बहता मेरा मन! आर पार कुछ नहीं कहीं…
Read Moreआम्र मंजरित, मधुप गुंजरित गंध समीरण मंद संचरित! प्राणों की पिक बोल उठी फिर अंतर…
Read Moreस्वप्न देही हो प्रिये हो तुम, देह तनिमा अश्रु धोई! रूप की लौ सी सुनहली…
Read Moreबाँध लिया तुमने प्राणों को फूलों के बंधन में एक मधुर जीवित आभा सी लिपट…
Read Moreप्राणों में चिर व्यथा बाँध दी! क्यों चिर दग्ध हृदय को तुमने वृथा प्रणय की…
Read Moreशरद चाँदनी! विहँस उठी मौन अतल नीलिमा उदासिनी! आकुल सौरभ समीर छल छल चल सरसि…
Read Moreतुम प्रणय कुंज में जब आई पल्लवित हो उठा मधु यौवन मंजरित हृदय की अमराई।…
Read Moreनव हे, नव हे! नव नव सुषमा से मंडित हो चिर पुराण भव हे! नव…
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