जीने में थी न नज़ा के रंज ओ महान में थी
जीने में थी न नज़ा के रंज ओ महान में थी आशिक़ की एक बात…
Read Moreजीने में थी न नज़ा के रंज ओ महान में थी आशिक़ की एक बात…
Read Moreइसी हवस में के हो उस हसीन के क़ाबिल ये दिल रहा है न दुनिया…
Read Moreहोता तो वही जो कुछ क़िस्मत में लिखा होता तदबीर अगर करता कुछ रंज सिवा…
Read Moreगुल-ए-वीराना हूँ कोई नहीं है क़द्र-दाँ मेरा तू ही देख ऐ मेरे ख़ल्लाक हुस्न-ए-राएगाँ मेरा…
Read Moreकभी है महवेदीद ऐसे समझ बाक़ी नहीं रहती। कभी दीदार से महरूम है इतना समझते…
Read Moreसमा गए मेरी नज़रों में छा गए दिल पर। ख़याल करता हूँ, उनको कि देखता…
Read Moreमरते-मरते न कभी आक़िलो-फ़रज़ाना बने। होश रखता हो जो इन्सान तो दिवाना बने॥ परतबे-रुख़ के…
Read Moreअब तक नहीं देखा है, क्या उस रुख़ेख़न्दाँ को। इकतारे शुआ़ई से उलझा है जो…
Read Moreइश्क ही सअ़ई मेरी, इश्क ही हासिल मेरा यही मंज़िल है, यही जाद-ए-मंज़िल मेरा। दैर-ओ-हरम…
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