प्रथम प्रभात
मनोवृत्तियाँ खग-कुल-सी थी सो रही, अन्तःकरण नवीन मनोहर नीड़ में नील गगन-सा शान्त हृदय भी…
Read Moreमनोवृत्तियाँ खग-कुल-सी थी सो रही, अन्तःकरण नवीन मनोहर नीड़ में नील गगन-सा शान्त हृदय भी…
Read Moreक्लान्त हुआ सब अंग शिथिल क्यों वेष है मुख पर श्रम-सीकर का भी उन्मेष है…
Read Moreकरूणा-निधे, यह करूण क्रन्दन भी ज़रा सुन लीजिये कुछ भी दया हो चित्त में तो…
Read Moreजयति प्रेम-निधि ! जिसकी करूणा नौका पार लगाती है जयति महासंगीत ! विश्व-वीणा जिसकी ध्वनि…
Read Moreज़ाए है नक़द-ए-हस्ती बर्बाद-ए-गुफ़्तगू हूँ ढलकी हुई सुराही छलका हुआ सुबू हूँ किस की तलाश…
Read Moreयूँही गर साँस में थोड़ी कमी हो जाएगी ख़त्म रफ़्ता रफ़्ता इक दिन ज़िंदगी हो…
Read More