याचना
जब प्रलय का हो समय, ज्वालामुखी निज मुख खोल दे सागर उमड़ता आ रहा हो,…
Read Moreसकल वेदना विस्मृत होती स्मरण तुम्हारा जब होता विश्वबोध हो जाता है जिससे न मनुष्य…
Read Moreअहो, यही कृत्रिम क्रीड़ासर-बीच कुमुदिनी खिलती थी हरे लता-कुंजो की छाया जिसको शीतल मिलती थी…
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