शिल्प सौन्दर्य
कोलाहल क्यों मचा हुआ है ? घोर यह महाकाल का भैरव गर्जन हो रहा अथवा…
Read Moreकोलाहल क्यों मचा हुआ है ? घोर यह महाकाल का भैरव गर्जन हो रहा अथवा…
Read Moreसीता ने जब खोज लिया सौमित्र को तरू-समीप में, वीर-विचित्र चरित्र को ‘लक्ष्मण ! आवो…
Read Moreसोते अभी खग-वृन्द थे निज नीड़ में आराम से ऊषा अभी निकली नहीं थी रविकरोज्ज्वल-दास…
Read Moreमधुर-मधुर अलाप करते ही पिय-गोद में मिठा सकल सन्ताप, वैदेही सोने लगी पुलकित-तनु ये राम,…
Read Moreउदित कुमुदिनी-नाथ हुए प्राची में ऐसे सुधा-कलश रत्नाकार से उठाता हो जैसे धीरे-धीरे उठे गई…
Read Moreतप्त हृदय को जिस उशीर-गृह का मलयानिल शीतल करता शीघ्र, दान कर शान्ति को अखिल…
Read Moreजब कि सब विधियाँ रहें निषिद्ध, और हो लक्ष्मी को निर्वेद कुटिलता रहे सदैव समृद्ध,…
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