धोबियों का नृत्य
लो, छन छन, छन छन, छन छन, छन छन, नाच गुजरिया हरती मन! उसके पैरों…
Read Moreलो, छन छन, छन छन, छन छन, छन छन, नाच गुजरिया हरती मन! उसके पैरों…
Read Moreखड़ा द्वार पर, लाठी टेके, वह जीवन का बूढ़ा पंजर, चिमटी उसकी सिकुड़ी चमड़ी हिलते…
Read Moreमिट्टी से भी मटमैले तन, अधफटे, कुचैले, जीर्ण वसन,– ज्यों मिट्टी के हों बने हुए…
Read Moreये जीवित हैं या जीवन्मृत! या किसी काल विष से मूर्छित? ये मनुजाकृति ग्रामिक अगणित!…
Read Moreस्वाभाविक नारी जन की लज्जा से वेष्टित, नित कर्म निष्ठ, अंगो की हृष्ट पुष्ट सुन्दर,…
Read Moreउन्मद यौवन से उभर घटा सी नव असाढ़ की सुन्दर, अति श्याम वरण, श्लथ, मंद…
Read Moreयहाँ नहीं है चहल पहल वैभव विस्मित जीवन की, यहाँ डोलती वायु म्लान सौरभ मर्मर…
Read Moreदेख रहा हूँ आज विश्व को मैं ग्रामीण नयन से, सोच रहा हूँ जटिल जगत…
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