१५ अगस्त १९४७
चिर प्रणम्य यह पुण्य अहन् जय गाओ सुरगण, आज अवतरित हुई चेतना भू पर नूतन!…
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Read Moreविश्व श्याम जीवन के जलधर राम प्रणम्य, राम हैं ईश्वर! लक्ष्मण निर्मल स्नेह सरोवर करुणा…
Read Moreक्यों तुमने निज विहग गीत को दिया न जग का दाना पानी आज आर्त अंतर…
Read Moreनिःस्वर वाणी नीरव मर्म कहानी! अंतर्वाणी! नव जीवन सौन्दर्य में ढलो सृजन व्यथा गांभीर्य में…
Read Moreहे करुणाकर, करुणा सागर! क्यो इतनी दुर्बलताओं का दीप शून्य गृह मानव अंतर! दैन्य पराभव…
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