इंद्रिय प्रमाण
शरद के रजत नील अंचल में पीले गुलाबों का सूर्यास्त कुम्हला न जाय,- वायु स्तब्ध……
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Read Moreछेड़ो हे वह गान अंतत्तोद्भव अकल्प वह गान विश्व ताप से शून्य गह्वरों में गिरि…
Read Moreअमित तेज तुम, तेज पूर्ण हो जनगण जीवन दिव्य वीर्य तुम वीर्य युक्त हों सबके…
Read Moreचिर रमणीय बसंत ग्रीष्म वर्षा ऋतु सुखमय स्निग्ध शरद हेमंत शिशिर रमणीय असंशय! मधु केंद्रों…
Read Moreआज देवियों को करता मन भूरि रे नमन चिन्मयि सृजन शक्तियाँ जो करतीं जगत सृजन!…
Read Moreइन्द्र सतत सत्पथ पर देवें मर्त्य हम चरण दिव्य तुम्हारे ऐश्वर्यों को करें नित ग्रहण!…
Read Moreवेद ऋचाएँ अक्षर परम व्योम में जीवित निखिल देवगण चिर अनादि से जिसमें निवसित! जिसे…
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