पुण्य प्रसू
ताक रहे हो गगन? मृत्य-नीलिमा-गहन गगन? अनिमेष, अचितवन, काल-नयन- नि:स्पंद, शून्य, निर्जन, नि:स्वन! देखो भू…
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Read Moreप्रथम रश्मि का आना रंगिणि! तूने कैसे पहचाना? कहाँ, कहाँ हे बाल-विहंगिनि! पाया तूने वह…
Read Moreप्रथम रश्मि का आना रंगिणि! तूने कैसे पहचाना? कहाँ, कहाँ हे बाल-विहंगिनि! पाया तूने वह…
Read Moreछोड़ द्रुमों की मृदु छाया, तोड़ प्रकृति से भी माया, बाले! तेरे बाल-जाल में कैसे…
Read Moreशरद के एकांत शुभ्र प्रभात में हरसिंगार के सहस्रों झरते फूल उस आनंद सौन्दर्य का…
Read Moreतुम आती हो, नव अंगों का शाश्वत मधु-विभव लुटाती हो। बजते नि:स्वर नूपुर छम-छम, सांसों…
Read Moreओ शाश्वत दंपति, तुम्हारा असीम, अक्षय परस्पर का प्यार ही मेरा आनंद मंगल और चेतना…
Read More(क) तेरा कैसा गान, विहंगम! तेरा कैसा गान? न गुरु से सीखे वेद-पुराण, न षड्दर्शन,…
Read Moreकब से विलोकती तुमको ऊषा आ वातायन से? सन्ध्या उदास फिर जाती सूने-गृह के आँगन…
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