रहस्य
तुम समझोगे बात हमारी? उडु-पुंजों के कुंज सघन में, भूल गया मैं पन्थ गगन में,…
Read Moreगायक, गान, गेय से आगे मैं अगेय स्वन का श्रोता मन। सुनना श्रवण चाहते अब…
Read Moreगायक, गान, गेय से आगे मैं अगेय स्वन का श्रोता मन। सुनना श्रवण चाहते अब…
Read Moreजीर्णवय अम्बर-कपालिक शीर्ण, वेपथुमान पी रहा आहत दिवस का रक्त मद्य-समान। शिथिल, मद-विह्वल, प्रकंपित-वपु, हृदय…
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