जयप्रकाश
झंझा सोई, तूफान रुका, प्लावन जा रहा कगारों में; जीवित है सबका तेज किन्तु, अब…
Read Moreनये सुरों में शिंजिनी बजा रहीं जवानियाँ लहू में तैर-तैर के नहा रहीं जवानियाँ। प्रभात-श्रृंग…
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Read Moreघटा फाड़ कर जगमगाता हुआ आ गया देख, ज्वाला का बान; खड़ा हो, जवानी का…
Read Moreघटा फाड़ कर जगमगाता हुआ आ गया देख, ज्वाला का बान; खड़ा हो, जवानी का…
Read Moreधनी दे रहे सकल सर्वस्व, तुम्हें इतिहास दे रहा मान; सहस्रों बलशाली शार्दूल चरण पर…
Read Moreधनी दे रहे सकल सर्वस्व, तुम्हें इतिहास दे रहा मान; सहस्रों बलशाली शार्दूल चरण पर…
Read Moreजन्मभूमि से दूर, किसी बन में या सरित-किनारे, हम तो लो, सो रहे लगाते आजादी…
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Read Moreजय विधायिके अमर क्रान्ति की! अरुण देश की रानी! रक्त-कुसुम-धारिणि! जगतारिणि! जय नव शिवे! भवानी!…
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