कविता और प्रेम
ऊपर सुनील अम्बर, नीचे सागर अथाह, है स्नेह और कविता, दोनों की एक राह। ऊपर…
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Read Moreअम्बर के गृह गान रे, घन-पाहुन आये। इन्द्रधनुष मेचक-रुचि-हारी, पीत वर्ण दामिनि-द्युति न्यारी, प्रिय की…
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Read Moreलिख रहे गीत इस अंधकार में भी तुम रवि से काले बरछे जब बरस रहे…
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Read Moreझूमें झर चरण के नीचे मैं उमंग में गाऊँ. तान, तान, फण व्याल! कि तुझ…
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