कलम, आज उनकी जय बोल।
जला अस्थियाँ बारी-बारी चिटकाई जिनमें चिंगारी, जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर लिए बिना गर्दन का…
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Read Moreयह प्रदीप जो दीख रहा है झिलमिल दूर नहीं है थक कर बैठ गये क्या…
Read Moreबरसों बाद मिले तुम हमको आओ जरा बिचारें, आज क्या है कि देख कौम को…
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