निराशावादी
पर्वत पर, शायद, वृक्ष न कोई शेष बचा, धरती पर, शायद, शेष बची है नहीं…
Read Moreपर्वत पर, शायद, वृक्ष न कोई शेष बचा, धरती पर, शायद, शेष बची है नहीं…
Read Moreरात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद, आदमी भी क्या अनोखा जीव होता है!…
Read Moreरात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद, आदमी भी क्या अनोखा जीव होता है!…
Read Moreकहता हूँ¸ ओ मखमल–भोगियो। श्रवण खोलो¸ रूक सुनो¸ विकल यह नाद कहां से आता है।…
Read Moreकहता हूँ¸ ओ मखमल–भोगियो। श्रवण खोलो¸ रूक सुनो¸ विकल यह नाद कहां से आता है।…
Read Moreक्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल सबका लिया सहारा पर नर व्याघ्र सुयोधन तुमसे कहो, कहाँ,…
Read Moreक्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल सबका लिया सहारा पर नर व्याघ्र सुयोधन तुमसे कहो, कहाँ,…
Read More