तुम्हारी आँखों का बचपन
तुम्हारी आँखों का बचपन ! खेलता था जब अल्हड़ खेल, अजिर के उर में भरा…
Read Moreतुम्हारी आँखों का बचपन ! खेलता था जब अल्हड़ खेल, अजिर के उर में भरा…
Read Moreआह रे, वह अधीर यौवन ! मत्त-मारुत पर चढ़ उद्भ्रांत , बरसने ज्यों मदिरा अश्रांत-…
Read Moreआँखों से अलख जगाने को, यह आज भैरवी आई है . उषा-सी आँखों में कितनी,…
Read Moreउस दिन जब जीवन के पथ में, छिन्न पात्र ले कम्पित कर में , मधु-भिक्षा…
Read Moreअतलांत महा गम्भीर जलधि – तज कर अपनी यह नियत अवधि, लहरों के भीषण हासों…
Read Moreअरी वरुणा की शांत कछार ! तपस्वी के वीराग की प्यार ! सतत व्याकुलता के…
Read Moreनिज अलकों के अंधकार में तुम कैसे छिप जाओगे? इतना सजग कुतूहल! ठहरो,यह न कभी…
Read Moreमधुप गुनगुना कर कह जाता कौन कहानी अपनी, मुरझा कर गिर रही पत्तियां देखो कितनी…
Read Moreले चल वहाँ भुलावा देकर मेरे नाविक ! धीरे-धीरे । जिस निर्जन में सागर लहरी,…
Read Moreथके हुए दिन के निराशा भरे जीवन की सन्ध्या हैं आज भी तो धूसर क्षितिज…
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