काली आँखों का अंधकार
काली आँखों का अंधकार जब हो जाता है वार पार, मद पिए अचेतन कलाकार उन्मीलित…
Read Moreकाली आँखों का अंधकार जब हो जाता है वार पार, मद पिए अचेतन कलाकार उन्मीलित…
Read Moreचिर संचित कंठ से तृप्त-विधुर वह कौन अकिंचन अति आतुर अत्यंत तिरस्कृत अर्थ सदृश ध्वनि…
Read Moreजगती की मंगलमयी उषा बन, करुणा उस दिन आई थी, जिसके नव गैरिक अंचल की…
Read Moreअपलक जगती हो एक रात! सब सोये हों इस भूतल में, अपनी निरीहता संबल में,…
Read Moreवसुधा के अंचल पर यह क्या कन- कन सा गया बिखर ? जल-शिशु की चंचल…
Read Moreजग की सजल कालिमा रजनी में मुखचन्द्र दिखा जाओ . ह्रदय अँधेरी झोली इनमे ज्योति…
Read Moreकितने दिन जीवन जल-निधि में – विकल अनिल से प्रेरित होकर लहरी, कूल चूमने चल…
Read Moreमेरी आँखों की पुतली में तू बन कर प्रान समां जा रे ! जिससे कण…
Read Moreकोमल कुसुमों की मधुर रात ! शशि – शतदल का यह सुख विकास, जिसमें निर्मल…
Read Moreअब जागो जीवन के प्रभात ! वसुधा पर ओस बने बिखरे हिमकन आँसू जो क्षोभ…
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