हिमाद्रि तुंग शृंग से
हिमाद्रि तुंग शृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती स्वयं प्रभा समुज्ज्वला स्वतंत्रता पुकारती ‘अमर्त्य वीर पुत्र…
Read Moreहिमाद्रि तुंग शृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती स्वयं प्रभा समुज्ज्वला स्वतंत्रता पुकारती ‘अमर्त्य वीर पुत्र…
Read Moreमधुप गुन-गुनाकर कह जाता कौन कहानी अपनी यह, मुरझाकर गिर रहीं पत्तियाँ देखो कितनी आज…
Read Moreसब जीवन बीता जाता है धूप छाँह के खेल सदॄश सब जीवन बीता जाता है…
Read Moreहिमालय के आँगन में उसे, प्रथम किरणों का दे उपहार उषा ने हँस अभिनंदन किया…
Read Moreअरुण यह मधुमय देश हमारा। जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा।। सरल तामरस…
Read Moreतुम कनक किरन के अंतराल में लुक छिप कर चलते हो क्यों ? नत मस्तक…
Read Moreहिमाद्रि तुंग शृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती स्वयंप्रभा समुज्ज्वला स्वतंत्रता पुकारती अमर्त्य वीर पुत्र हो,…
Read Moreबीती विभावरी जाग री! अम्बर पनघट में डुबो रही तारा-घट ऊषा नागरी! खग-कुल कुल-कुल-सा बोल…
Read Moreआह! वेदना मिली विदाई मैंने भ्रमवश जीवन संचित, मधुकरियों की भीख लुटाई छलछल थे संध्या…
Read More