यूँ न रह रह के हमें तरसाइए ।
यूँ न रह रह के हमें तरसाइए । आइए, आ जाइए, आ जाइए । फिर…
Read Moreयूँ न रह रह के हमें तरसाइए । आइए, आ जाइए, आ जाइए । फिर…
Read Moreसदियों की शब-ए-ग़म को सहर हम ने बनाया ज़र्रात को ख़ुर्शीद ओ क़मर हम ने…
Read Moreदश्त में क़ैस नहीं कोह पे फ़रहाद नहीं है वही इश्क़ की दुनिया मगर आबाद…
Read Moreरातों का तसव्वुर है उनका और चुपके-चुपके रोना है । ऐ सुब्ह के तारे तू…
Read Moreगेसू को तिरे रुख़ से बहम होने न देंगे । हम रात को ख़ुर्शीद में…
Read Moreनग़्मे हवा ने छेड़े फ़ितरत की बाँसुरी में, पैदा हुईं ज़बानें जंगल की ख़ामुशी में…
Read Moreहम आँखों से भी अर्ज़-ए-तमन्ना नहीं करते । मुबहम-सा इशारा भी गवारा नहीं करते ।…
Read More कैसा संत हमारा गांधी कैसा संत हमारा! दुनिया गो थी दुश्मन उसकी दुश्मन था…
Read Moreछुट्टी! छुट्टी! छुट्टी! टन-टन, टन! टन! घंटा बोला! हो! हो! हो! चिल्लाया भोला, बंद करो,…
Read More