इसका रोना
तुम कहते हो – मुझको इसका रोना नहीं सुहाता है | मैं कहती हूँ –…
Read Moreअल्लाह ख़ता क्या है ग़रीबों की बता दे, क़िस्मत के अन्धेरे में नई शमा जला…
Read Moreअब तो तमाम शहर में चर्चा है आपका । फिर किसलिए हुज़ूर ये परदा है…
Read Moreओ दूर जाने वाले वादा न भूल जाना । रातें हुई अन्धेरी तुम चान्द बनके…
Read Moreअंगड़ाई भी वो लेने न पाए उठाके हाथ, देखा जो मुझको तो छोड़ दिए मुस्करा…
Read Moreकाफ़िर गेसू वालों की रात बसर यूँ होती है। हुस्न हिफाज़त करता है और जवानी…
Read Moreहादसे क्या क्या तुम्हारी बेरुख़ी से हो गए । सारी दुनिया के लिए हम अजनबी…
Read Moreहैरत से तक रहा है जहान-ए-वफ़ा मुझे । तुम ने बना दिया है मुहब्बत में…
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