परिचय
क्या कहते हो कुछ लिख दूँ मैं ललित-कलित कविताएं। चाहो तो चित्रित कर दूँ जीवन…
Read Moreयह मुरझाया हुआ फूल है, इसका हृदय दुखाना मत। स्वयं बिखरनेवाली इसकी, पँखड़ियाँ बिखराना मत॥…
Read Moreथी मेरा आदर्श बालपन से तुम मानिनि राधे! तुम-सी बन जाने को मैंने व्रत नियमादिक…
Read Moreदेव! तुम्हारे कई उपासक कई ढंग से आते हैं सेवा में बहुमूल्य भेंट वे कई…
Read Moreइस समाधि में छिपी हुई है, एक राख की ढेरी | जल कर जिसने स्वतंत्रता…
Read Moreकर रहे प्रतीक्षा किसकी हैं झिलमिल-झिलमिल तारे? धीमे प्रकाश में कैसे तुम चमक रहे मन…
Read Moreसिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में भी आई फिर से…
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