मेरे पथिक
हठीले मेरे भोले पथिक! किधर जाते हो आकस्मात। अरे क्षण भर रुक जाओ यहाँ, सोच…
Read Moreमुझे कहा कविता लिखने को, लिखने मैं बैठी तत्काल। पहिले लिखा- ‘‘जालियाँवाला’’, कहा कि ‘‘बस,…
Read Moreबार-बार आती है मुझको मधुर याद बचपन तेरी। गया ले गया तू जीवन की सबसे…
Read Moreवीणा बज-सी उठी, खुल गए नेत्र और कुछ आया ध्यान। मुड़ने की थी देर, दिख…
Read Moreयह मुरझाया हुआ फूल है, इसका हृदय दुखाना मत। स्वयं बिखरने वाली इसकी पंखड़ियाँ बिखराना…
Read Moreरीती होती जाती थी जीवन की मधुमय प्याली। फीकी पड़ती जाती थी मेरे यौवन की…
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