मोह
छोड़ द्रुमों की मृदु-छाया, तोड़ प्रकृति से भी माया, बाले! तेरे बाल-जाल में कैसे उलझा…
Read Moreमैं एक शापित चिड़िया हु बन बन भटक रही हु अतीत मुझे याद आता है…
Read Moreसमय की सीमा है के एक दिन मुझे भी जाना होगा मगर बस इतना बता…
Read Moreआ, स्वतंत्र प्यारे स्वदेश आ, स्वागत करती हूँ तेरा। तुझे देखकर आज हो रहा, दूना…
Read Moreहे काले-काले बादल, ठहरो, तुम बरस न जाना। मेरी दुखिया आँखों से, देखो मत होड़…
Read Moreसभा सभा का खेल आज हम खेलेंगे जीजी आओ, मैं गाधी जी, छोटे नेहरू तुम…
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