कुसुमों के जीवन का पल
कुसुमों के जीवन का पल हँसता ही जग में देखा, इन म्लान, मलिन अधरों पर…
Read Moreकुसुमों के जीवन का पल हँसता ही जग में देखा, इन म्लान, मलिन अधरों पर…
Read Moreआँसू की आँखों से मिल भर ही आते हैं लोचन, हँसमुख ही से जीवन का…
Read Moreसागर की लहर लहर में है हास स्वर्ण किरणों का, सागर के अंतस्तल में अवसाद…
Read Moreदेखूँ सबके उर की डाली– किसने रे क्या क्या चुने फूल जग के छबि-उपवन से…
Read Moreमैं नहीं चाहता चिर-सुख, मैं नहीं चाहता चिर दुख; सुख-दुख की खेल मिचौनी खोले जीवन…
Read Moreशांत सरोवर का उर किस इच्छा से लहरा कर हो उठता चंचल, चंचल? सोये वीणा…
Read Moreआते कैसे सूने पल जीवन में ये सूने पल! जब लगता सब विशृंखल, तृण, तरु,…
Read Moreतप रे मधुर-मधुर मन! विश्व-वेदना में तप प्रतिपल, जग-जीवन की ज्वाला में गल, बन अकलुष,…
Read Moreवन-वन, उपवन– छाया उन्मन-उन्मन गुंजन, नव-वय के अलियों का गुंजन! रुपहले, सुनहले आम्र-बौर, नीले, पीले…
Read Moreछाया खोलो, मुख से घूँघट खोलो, हे चिर अवगुंठनमयि, बोलो! क्या तुम केवल चिर-अवगुंठन, अथवा…
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