नव हे, नव हे!
नव हे, नव हे! नव नव सुषमा से मंडित हो चिर पुराण भव हे! नव…
Read Moreनव हे, नव हे! नव नव सुषमा से मंडित हो चिर पुराण भव हे! नव…
Read Moreबाँधो, छबि के नव बन्धन बाँधो! नव नव आशाकांक्षाओं में तन-मन-जीवन बाँधो! छबि के नव–…
Read Moreयह मेरा दर्पण चिर मोहित! जीवन के गोपन रहस्य सब इसमें होते शब्द तरंगित! कितने…
Read Moreकच्चे मन सा काँच पात्र जिसमें क्रोटन की टहनी ताज़े पानी से नित भर टेबुल…
Read Moreदुग्ध पीत अधखिली कली सी मधुर सुरभि का अंतस्तल दीप शिखा सी स्वर्ण करों के…
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